#रोहित_वेमुला कि शहादत हमारे लिये एक सबक हो....!
....आज मैं सारे भारत को #रोहित कि शहादत पर अक्रोशीत होता देख रहा हुँ। एक तरफ गर्व हो रहा है के हमारे भाई कि शहादत पर सारा देश एक आवाज में उठ खडा हुआ है। और दुसरी तरफ यह सोच मन में एक सवाल उठ रहा है के "काश यही आक्रोश 15 दिन पहले अगर शुरू हुवा होता तो आज #रोहित हमारे बीच होता और ऊन पांच शोध विद्यार्थियों को हम सब पर गर्व हुआ होता के उनके इस #जातीवाद के युद्ध में सारे भारत ने एक होकर आवाज उठायी है। और निश्चितही उनके इस युद्ध मे विजय ना सिर्फ उनकी होती बल्की बाबासाहेब आंबेडकर के विचारोकी होती।
लेकिन दुःख ईस बात का है के हमारी संवेदनाये हमारे किसी एक कि बली दिये बिना जागृत नही होती। हम तब तक घरो में बैठकर उस विषय पर गंभीर नही होते जब तक कि समस्या काबू से बाहर चली जाये। #हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के ऊन पांच निष्कासित विद्यार्थियों के साथ भी यही कुछ हुआ है। पिछले 4 महिनोसे वह बच्चे ईस जातीवादी व्यवस्था से अकेले लढ रहे थे। उनकी यह लढाई तब अपनी चरम सीमा वर पहुंची जब ऊस भारतीय जनता पार्टी के बंडारू दत्तात्रेय इस केंद्रीय मंत्री ने MHRD को पत्र लिख कर इन शोध विद्यार्थियों वर जातीवादी और देश विरोधी गतीविधिया चलाने का गंभीर आरोप लगाया और इसके चलते, 3 जनवरी को उन पांच विद्यार्थियों का समान उनके कमरे से बाहेर फेंक दिया गया। लेकिन फिर भी वह बच्चे बाबासाहेब के विचारो और प्रेरणा लेकर लढणे के लिये तय्यार रहे। सबुत इसी बात का है कि रोहित अपने कमरे से बाहर आते समय भी बाबासाहेब कि प्रतिमा हाथ मी लेकर बाहर आया।
पिछले 16 दिनोसे वह लडके कडाके कि थंड में विश्वविद्यालय के खुले मी सो रहे थे। पिछले 16 दिनोसे वह लोंग मदत कि गुहार लगाते रहे, कुछ लोगोने सुना और कुछ लोगोने नही। और आखिरकार ईस #जातीवादी व्यवस्था ने रोहित के रूप मी और एक बलि लि...
यह सब जब हो रहा था, हम सब इस विषय पर कभी इतने संवेदनशील नही रहे जितने कि आज दिख रहे है। आज सारे देश में जिस तरह हमारे सभी समाज कि प्रतिक्रियाये देख रहा हुँ तो ऐसा लग रहा है के हमारी ताकत का दुनिया में कोई मुकाबला नहि। अगर हम इसी तरह एक होकर इस व्यवस्था के खिलाफ खडे रहे तो निश्चितही हम व्यवस्था परिवर्तन कर सकते है। लेकिन दुःख इस बात का है के हम वक्त रहते अपनी संवेदनाये और अपनी एकता का सबुत नही देते।
दोस्तो, रोहित कि मौत हम सबके लिये एक सबक हो ऐसा मै सोचता हुँ। आज रोहित शहीद हुवा है कल और कोई रोहित कि बली यह व्यवस्था मांगेगि। कल फिर किसी जगह हमारे भाई बहनो को नंगा किया जाएगा, कल फिर रोहित हमारे बीच से चला जायेगा। यह व्यवस्था हमारी ताकत को जाणती और समझती है। इसे यह भी पता है कि बाबासाहेब आंबेडकर को मानणे वाला मारणे और मरने के लिये हमेशा तत्पर रहता है। और इसीलिए हम संगठित ना रहे इसलिये निरंतर षडयंत्र करती रहती है।
हम अगर अपनी संवेदनाये और ताकत वक्त रहते दिखायेंगे तभी काळ को फिरसे किसी रोहित कि बलि नही जायेगी। अगर हम ऐसा नही करते है तो इतिहास हमे कभी माफ नही करेगा।।।
जय भीम।। जय भीम ।। जय भीम
आपका
Adv महेंद्र जाधव
No comments:
Post a Comment