प्रिय मीत्रों क्या आप जानते है अन्ना हज़ारे ने जो जनलोकपाल बिल लाया है क्या आप ने उसे पढ़ा है याफिर सिर्फ मीडिया जो दिखा रहा है और अन्ना की टीम जो बोल रही है । उसके ऊपर आप विश्वास रख कर अन्ना हज़ारे को सपोर्ट तो नहीं कर रहे है । जन लोकपाल बिल जो अन्ना हज़ारे क...ी टीम ने बनाया वो मैंने पढ़ा है । ये और ये बिल सिर्फ जनता की दिशा भूल करता है ।... और भारतीय सविधान की खिल्ली उड़ता है । वो कैसे ? मई आप को पॉइंट तो पॉइंट बताने जा रहा हु 1 अन्ना हज़ारे ने कहा है की इस्स के अंडर न्याय पालिका आणि चाहिए और सुप्रीम कोर्ट के जज आने चाहिए , मित्रो हमारे सविधान का ढ़ाचा ही इसी मुद्दे पर है । न्याय पालिका एक स्वतंत्र पालिका है । उनके अलग अधिकार है । उनकी शक्ति अलग है । वो किसी भी पार्टी या फिर राजनीति याफिर सरकार के अंडर नहीं अति है । और उसे लोकपाल के डरे मे लाना खतरनाक है । अन्ना हज़ारे को ये भी नहीं पता के न्याय पालिका का के खिलाफ अगर कोई शिकायत लोकपाल मे करेगा तो । लोकपाल जोभी सुनवाई करेगी उसके ऊपर कारवाई भी न्याय पालिका काही करेगी ऐसा अन्ना हज़ारे के लोकपाल बिल मे लिखा है । लेकिन मित्रो ऐसा होही नहीं सकता ये परस्पर विरोधा भास है । जिस पर इल्ज़ाम वही सुनवाई करेगा । क्यू की जनलोकपाल सिर्फ इंवेस्टिगेशन कर सकता है कारवाई नहीं । 2 अन्ना का जनलोकपाल कहता है की संसद के सांसदो को भी इसके डरे मे लाना होगा । मित्रो हमारी संसदीय एक अलग प्रणाली है उसकी शक्ति अलग है । और हमारा देश संसदीय प्रणाली से चलता है । जहा पूरे देश मीसे चुने हुये जनता के प्रतिनिधि बैठ ते है । संसद किसी के अंडर नहीं आ सकती क्यू की संसद का आद्यक्ष स्पीकर होता है । संसद मे जोभी होता है उसके ऊपर कारवाई के लिए स्पीकर को अधिकार दिये हुये है । अगर हम संसद को लोकपाल के अंडर लाएँगे तो संसद को क्या अर्थ रहेगा स्पीकर किस काम का ये तो हमारी घटना के साथ खिलवाड़ होगा । अगर कोई भी संसद के खिलाफ जाता है और लोकपाल मे शिकायत करता है तो उसके ऊपर कारवाई के लिए संसद द्वारा चुनी हुई टीम ही फैसला लेगी ।ऐसा अन्ना के लोकपाल बिल मे लिखा है । मित्रो ये बिलकुल विरोधाभास है । जो गुनहगार है वही खुद को सजा कैसे दे सकता है । 3 अन्ना जी के लोकपाल मे बताया गया है की इस्स मे हमारे पंतप्रधान को भी लाना चाहिए । मित्रो बताना चाहूँगा हम संसदीय लोकशाही से चलते है । पंतप्रधान सिर्फ संसद को जवाबदेह है नाकी मीडिया या फिर जनता को । पंतप्रधान देशकी जनता को इंडिरेक्त्ली जवाब देह होते है ।जनताने चुने हुये प्रतिनिधि को पंतप्रधान अपना जवाब देते है । स्पीकर को जवाब देते है । मीन्स जनता को जवाब देते है । अगर पंतप्रधान के ऊपर कारवाई करनी है तो लोकपाल सिर्फ इन्वेस्त्तिगेशन करेगा और जब कारवाई की बात आएगी तो वही संसद की टीम अपना फैसला सुनाएगी ये विरोधाभास नहीं तो क्या है ? गुनहगार क्या खुद को सजा सुनाएगा ? 4 अन्ना जी के लोकपाल मे कहगाया है की सारे सरकारी कर्मचारी इस्स के डायरेमे आने चाइए । मै अन्ना जी को बताना चाहूँगा की हम दुनिया की दूसरी बड़ी आबादी वाला देश है । अगर ऐसा हुआ तो 100% सरकारी कार्यालयो के खिफ लोकपाल मे लोग शिकायत करेंगे । भ्रष्टाचार अज्ज 100% ऑफिस मे फैला हुआ है । और उनके खिलाफ जो शिकायल आएगी वो लाखोमे नहीं कांसे कम 1000000000 की संख्यामे होगी और इनके खिलाफ अगर इन्वैस्टिगेशन करना है तो उसके लिए और सरकारी लोगोकों रखना होगा । और कारवाई के लिए अलग टीम बनानी होगी । क्यू की अन्ना का लोकपाल कहता है की लोकपाल सिर्फ इन्वैस्टिगेशन करेगा कारवाई नहीं । लेकिन इतने लोग बिना पैसो के 1 दिन भी अन्ना के साथ कम नहीं करेगे । उनको सरकार की तरफ से पैसे देने होंगे । और सरकार पर और पैसो का दबाव आयेगा और सरकार को इनकी आपूर्ति करने के लिए टैक्स बढ़ाने होंगे याफिर और वर्ल्ड बैंक से लोन लेना होगा । इस्स से देश की आर्थिक हालत बिगड़ जाएगी । और लोगोका न्यायिक व्यवस्थासे विश्वास उड़ने का भी खतरा है । क्यू की हर कोई लोकपाल के पास जाएगा ये सच हम नहीं जुतला सकते फिर लोकपाल कहेगा की हुमे इस्स के लिए कारवाई के लिए कोर्ट जाना चाहिए लेकिन पेहले ही कोर्ट मे करोड़ो मुकदमे चलराहे है और करोड़ो इस्स मे और जुड़ गए तो जिन का रिज़ल्ट जल्दी आना चाहिए उनका रिज़ल्ट आने मे और देरी होगी और अगर इनको जल्द सुलजाना है तो सरकार को और न्यायाधीशोकी नियुक्ति करनी होगी और न्याधीश बिना सरकारी पगार लिए तो काम करने से रहा । फिर सरकार पर पैसे का बोज गिएगा इस्स का नतीजा टैक्स बढ़ेगा मेहंगाई बढ़ेगी । 5 अन्ना जी का लोकपाल एक कानून है बाकी कुछ नहीं लेकिन उनको सरकार कैसे चलती है 130 करोड़ का देश कैसे चलता है इस्स का ग्यान नहीं है । हमारा देश घटना से चलता है । किसी कानून से नहीं ये अन्ना जी को पेहले जानना होगा । कानून अगर बन भी गया तो उसका नतीजा जनता को ही भुगतना है । किसी नेता को नहीं , या फिर आज जो बड़े उद्योगपति है उनको क्यू की उन्होने आज इतना पैसा कमारख्खा है की उनकी 7 पुश्ते भी बैठ के खसकती है । लेकिन हमारा देश जो आज भी भुखमरी , गरीबी , जातिवाद की खाई मे पड़ा हुआ है उसे और अंधेरे मे धकेल ने की एक साजिश होराही है उसे रोकना होगा । हुमे अगर भ्रष्टाचार रोकना ही है तो उसकी जड़ पे वर करना होगा नाकी उसकी डालिया काट के अन्ना ने पेहले समाज मे जाके हर इंसान के अंदर जो भ्रष्टाचार का कीड़ा है उसे मारना होगा ।उसके लिए अन्ना ने समाज जागृति करनी चाहिए नाकी दिल्ली जैसे बड़े शहर मे उपोषण करके वाहपे लोगोकों लाके हो हल्ला करना चाहिए । और मेरा कहना है की लालसा ही भ्रष्टाचार का मूल है । ये एक मानसिक विकार है जिसे हटाने के लिए अन्ना जी ने समाज प्रबोधन करना चाहिए । जातिवाद को नष्ट करना चाहिए । नाकी सरकार पे दबाव लाना चाहिए । अगर देश के नागरिक जातीयता से ऊपर उठगाए तो अपने आप सरकार पे दबाव अजाएगा और जनता मीसे ही अच्छेलोग चुनकर संसद मे बैठेंगे । क्यू की सरकार , न्यायपालिका , सरकारी नौकर ये सब जनता हितो है । सब लोग इंसान ही है ।हमे आज मनकी सफाई की बहुत जरूरत है नाकी सरकार की क्यू की एक सरकार जाएगी दूसरी आएगी फिर वही होगा । क्यूकी अगर मन साफ नहीं होगा तो कोई अन्ना हो या लोकपाल इस्स देश से भ्रष्टाचार नहीं हटा सकता । मेरा सिर्फ येही कहना है अन्ना जी ने प्रेक्टिकल होने की जरूरत है नाकी लोकपाल बिल पास करके देश को और खाई मे धकेल ने की । अगर सरकार नहीं मानेगी तो अन्ना का हो हल्ला होगा और देश के दूसरे बड़े प्रश्न है वो वैसे ही रहजाएंगे । और मीडिया इनसब पे अपनी टीआरपी की रोटिया सेकेगा और सारा देश तमाशा देखेगा । मित्रो मै नहीं अन्ना के खिलाफ हु नहीं सरकार के मै तो सिर्फ उस विचार धारा के खिलाफ हु जो आज देशकोअपने एहम मुद्दोसे भटका रहा है वो है देश का मीडिया जो की राजनेता और बड़े उद्योग पती योके कब्जे मे है और देश के युवाओ को अपनी टीआरपी के लिए भटका रहा है। क्यू की देश सिर्फ बतोसे नहीं भारतीय घटना से और उसके पालन से चलता है .! जय भारत ...
Saturday, August 20, 2011
लोकपाल की सच्चाई
प्रिय मीत्रों क्या आप जानते है अन्ना हज़ारे ने जो जनलोकपाल बिल लाया है क्या आप ने उसे पढ़ा है याफिर सिर्फ मीडिया जो दिखा रहा है और अन्ना की टीम जो बोल रही है । उसके ऊपर आप विश्वास रख कर अन्ना हज़ारे को सपोर्ट तो नहीं कर रहे है । जन लोकपाल बिल जो अन्ना हज़ारे क...ी टीम ने बनाया वो मैंने पढ़ा है । ये और ये बिल सिर्फ जनता की दिशा भूल करता है ।... और भारतीय सविधान की खिल्ली उड़ता है । वो कैसे ? मई आप को पॉइंट तो पॉइंट बताने जा रहा हु 1 अन्ना हज़ारे ने कहा है की इस्स के अंडर न्याय पालिका आणि चाहिए और सुप्रीम कोर्ट के जज आने चाहिए , मित्रो हमारे सविधान का ढ़ाचा ही इसी मुद्दे पर है । न्याय पालिका एक स्वतंत्र पालिका है । उनके अलग अधिकार है । उनकी शक्ति अलग है । वो किसी भी पार्टी या फिर राजनीति याफिर सरकार के अंडर नहीं अति है । और उसे लोकपाल के डरे मे लाना खतरनाक है । अन्ना हज़ारे को ये भी नहीं पता के न्याय पालिका का के खिलाफ अगर कोई शिकायत लोकपाल मे करेगा तो । लोकपाल जोभी सुनवाई करेगी उसके ऊपर कारवाई भी न्याय पालिका काही करेगी ऐसा अन्ना हज़ारे के लोकपाल बिल मे लिखा है । लेकिन मित्रो ऐसा होही नहीं सकता ये परस्पर विरोधा भास है । जिस पर इल्ज़ाम वही सुनवाई करेगा । क्यू की जनलोकपाल सिर्फ इंवेस्टिगेशन कर सकता है कारवाई नहीं । 2 अन्ना का जनलोकपाल कहता है की संसद के सांसदो को भी इसके डरे मे लाना होगा । मित्रो हमारी संसदीय एक अलग प्रणाली है उसकी शक्ति अलग है । और हमारा देश संसदीय प्रणाली से चलता है । जहा पूरे देश मीसे चुने हुये जनता के प्रतिनिधि बैठ ते है । संसद किसी के अंडर नहीं आ सकती क्यू की संसद का आद्यक्ष स्पीकर होता है । संसद मे जोभी होता है उसके ऊपर कारवाई के लिए स्पीकर को अधिकार दिये हुये है । अगर हम संसद को लोकपाल के अंडर लाएँगे तो संसद को क्या अर्थ रहेगा स्पीकर किस काम का ये तो हमारी घटना के साथ खिलवाड़ होगा । अगर कोई भी संसद के खिलाफ जाता है और लोकपाल मे शिकायत करता है तो उसके ऊपर कारवाई के लिए संसद द्वारा चुनी हुई टीम ही फैसला लेगी ।ऐसा अन्ना के लोकपाल बिल मे लिखा है । मित्रो ये बिलकुल विरोधाभास है । जो गुनहगार है वही खुद को सजा कैसे दे सकता है । 3 अन्ना जी के लोकपाल मे बताया गया है की इस्स मे हमारे पंतप्रधान को भी लाना चाहिए । मित्रो बताना चाहूँगा हम संसदीय लोकशाही से चलते है । पंतप्रधान सिर्फ संसद को जवाबदेह है नाकी मीडिया या फिर जनता को । पंतप्रधान देशकी जनता को इंडिरेक्त्ली जवाब देह होते है ।जनताने चुने हुये प्रतिनिधि को पंतप्रधान अपना जवाब देते है । स्पीकर को जवाब देते है । मीन्स जनता को जवाब देते है । अगर पंतप्रधान के ऊपर कारवाई करनी है तो लोकपाल सिर्फ इन्वेस्त्तिगेशन करेगा और जब कारवाई की बात आएगी तो वही संसद की टीम अपना फैसला सुनाएगी ये विरोधाभास नहीं तो क्या है ? गुनहगार क्या खुद को सजा सुनाएगा ? 4 अन्ना जी के लोकपाल मे कहगाया है की सारे सरकारी कर्मचारी इस्स के डायरेमे आने चाइए । मै अन्ना जी को बताना चाहूँगा की हम दुनिया की दूसरी बड़ी आबादी वाला देश है । अगर ऐसा हुआ तो 100% सरकारी कार्यालयो के खिफ लोकपाल मे लोग शिकायत करेंगे । भ्रष्टाचार अज्ज 100% ऑफिस मे फैला हुआ है । और उनके खिलाफ जो शिकायल आएगी वो लाखोमे नहीं कांसे कम 1000000000 की संख्यामे होगी और इनके खिलाफ अगर इन्वैस्टिगेशन करना है तो उसके लिए और सरकारी लोगोकों रखना होगा । और कारवाई के लिए अलग टीम बनानी होगी । क्यू की अन्ना का लोकपाल कहता है की लोकपाल सिर्फ इन्वैस्टिगेशन करेगा कारवाई नहीं । लेकिन इतने लोग बिना पैसो के 1 दिन भी अन्ना के साथ कम नहीं करेगे । उनको सरकार की तरफ से पैसे देने होंगे । और सरकार पर और पैसो का दबाव आयेगा और सरकार को इनकी आपूर्ति करने के लिए टैक्स बढ़ाने होंगे याफिर और वर्ल्ड बैंक से लोन लेना होगा । इस्स से देश की आर्थिक हालत बिगड़ जाएगी । और लोगोका न्यायिक व्यवस्थासे विश्वास उड़ने का भी खतरा है । क्यू की हर कोई लोकपाल के पास जाएगा ये सच हम नहीं जुतला सकते फिर लोकपाल कहेगा की हुमे इस्स के लिए कारवाई के लिए कोर्ट जाना चाहिए लेकिन पेहले ही कोर्ट मे करोड़ो मुकदमे चलराहे है और करोड़ो इस्स मे और जुड़ गए तो जिन का रिज़ल्ट जल्दी आना चाहिए उनका रिज़ल्ट आने मे और देरी होगी और अगर इनको जल्द सुलजाना है तो सरकार को और न्यायाधीशोकी नियुक्ति करनी होगी और न्याधीश बिना सरकारी पगार लिए तो काम करने से रहा । फिर सरकार पर पैसे का बोज गिएगा इस्स का नतीजा टैक्स बढ़ेगा मेहंगाई बढ़ेगी । 5 अन्ना जी का लोकपाल एक कानून है बाकी कुछ नहीं लेकिन उनको सरकार कैसे चलती है 130 करोड़ का देश कैसे चलता है इस्स का ग्यान नहीं है । हमारा देश घटना से चलता है । किसी कानून से नहीं ये अन्ना जी को पेहले जानना होगा । कानून अगर बन भी गया तो उसका नतीजा जनता को ही भुगतना है । किसी नेता को नहीं , या फिर आज जो बड़े उद्योगपति है उनको क्यू की उन्होने आज इतना पैसा कमारख्खा है की उनकी 7 पुश्ते भी बैठ के खसकती है । लेकिन हमारा देश जो आज भी भुखमरी , गरीबी , जातिवाद की खाई मे पड़ा हुआ है उसे और अंधेरे मे धकेल ने की एक साजिश होराही है उसे रोकना होगा । हुमे अगर भ्रष्टाचार रोकना ही है तो उसकी जड़ पे वर करना होगा नाकी उसकी डालिया काट के अन्ना ने पेहले समाज मे जाके हर इंसान के अंदर जो भ्रष्टाचार का कीड़ा है उसे मारना होगा ।उसके लिए अन्ना ने समाज जागृति करनी चाहिए नाकी दिल्ली जैसे बड़े शहर मे उपोषण करके वाहपे लोगोकों लाके हो हल्ला करना चाहिए । और मेरा कहना है की लालसा ही भ्रष्टाचार का मूल है । ये एक मानसिक विकार है जिसे हटाने के लिए अन्ना जी ने समाज प्रबोधन करना चाहिए । जातिवाद को नष्ट करना चाहिए । नाकी सरकार पे दबाव लाना चाहिए । अगर देश के नागरिक जातीयता से ऊपर उठगाए तो अपने आप सरकार पे दबाव अजाएगा और जनता मीसे ही अच्छेलोग चुनकर संसद मे बैठेंगे । क्यू की सरकार , न्यायपालिका , सरकारी नौकर ये सब जनता हितो है । सब लोग इंसान ही है ।हमे आज मनकी सफाई की बहुत जरूरत है नाकी सरकार की क्यू की एक सरकार जाएगी दूसरी आएगी फिर वही होगा । क्यूकी अगर मन साफ नहीं होगा तो कोई अन्ना हो या लोकपाल इस्स देश से भ्रष्टाचार नहीं हटा सकता । मेरा सिर्फ येही कहना है अन्ना जी ने प्रेक्टिकल होने की जरूरत है नाकी लोकपाल बिल पास करके देश को और खाई मे धकेल ने की । अगर सरकार नहीं मानेगी तो अन्ना का हो हल्ला होगा और देश के दूसरे बड़े प्रश्न है वो वैसे ही रहजाएंगे । और मीडिया इनसब पे अपनी टीआरपी की रोटिया सेकेगा और सारा देश तमाशा देखेगा । मित्रो मै नहीं अन्ना के खिलाफ हु नहीं सरकार के मै तो सिर्फ उस विचार धारा के खिलाफ हु जो आज देशकोअपने एहम मुद्दोसे भटका रहा है वो है देश का मीडिया जो की राजनेता और बड़े उद्योग पती योके कब्जे मे है और देश के युवाओ को अपनी टीआरपी के लिए भटका रहा है। क्यू की देश सिर्फ बतोसे नहीं भारतीय घटना से और उसके पालन से चलता है .! जय भारत ...
Friday, August 19, 2011
lokatantra ka vartaman...
26th November 1949 ko duniya a sarvshreshth sanvidhan is swantantra bharat desh ko dete waqt Dr. Babasaheb ambedkar ed baat kehte hai “Hum aaj ek naye yug me pravesh kar rahe hai, bharat ek vivdhata sampanna desh hai jaha sabhi dharm k log rehte hai. aaj k baad sabhi bhartiyo ko ek manushya, ek vote aur ek value hoga. Lekin… anewale waqt me bhale hi hum logo ko one man one vote denge par bhartiya samajik paristhiyo ka akaln agar hum karte hai to mai aisa dekhta hu k hum is desh k sabhi nagariko ko one value kabhi bhi nahi denge.” Dr babasaheb ambekar ek aise durdarshi rajnitigya the jo vartaman paristhitiyo ko dekhne k baad bhavish me in paristhiyo ko parinam kya ho sakta hai waha wo jante the. Aur usi liye uprokt vichar babasahb bhartiya sanvidhan is desh ko samparpit karte samay dete hai. Aaj bharat ko loktantrik dish hokar 62 saal ho gaye hai, aur babasahb jis bareme 26th November ko jo kaha thaw aha sab hota hua dikh raha hai…
Monday, August 15, 2011
आम्बेडकरी आंदोलन आता अशा एका उंच कड्यावर येउन उभे टाकले आहे, ज्यांच्या एका बाजूला अंतर्गत अराजकांची प्रचंड खोल खाई आहे तर दूसरी कड़े आपले हिताशात्रू दबा धरुन लचका तोड़न्याची संधि शोधत बसले आहेत. अशावेळी आम्बेडकरी आन्दोलानांच्या धुरिनान्ना काटेरी तारेवरून चालण्याची कसरत करावी लागणार आहे. सामजिक , सांस्कृतिक अराजकाने आधीच पोखारून टाकलेल्या या लड्यात जेवड बाह्याशात्रू खोकल करत आहे. म्हणून आज या सम्पूर्ण आन्दोलानाची विस्कटलेली घडी पुन्हा नीट बसवितान्ना काही बाबी गम्भिर्याने पालाव्या लागतील. नाहीतर बाबासाहेबानी केलेल्या अथक कष्टाला काहीही अर्थ राहणार नाही.
RECONSTRUCTION OF AMBEDKARRITE MOVEMENT OUR DUTIES AND RESPONSIBILITIES
dear all dhammabandhu...,
it is well know by you all that most of the people are mis-interpretting the true and real teachings of buddha and dr.babasaheb ambedkar and misleading the innocents. Its not new problem but this has been increasing alot these days. Dr.babasaheb ambedkar told us " if you could move this dhamma chariot ahead then do it, or leave it on its original place, but never try to move it back", people who pretends that they are the "true followers of buddha and babasaheb(?) have misunderstood the above statement and rather moving the dhamma chariot ahead, each and everyone of us are trying their forced to pull the parts of the dhamma chariot for their benefits...for their selfishness. and the result is before us....and if fewe staunch ambedakrrite tries to stop them, they are insulting them as anti-ambedkarrites and also questioning the ACTS OF OUR SAVIOR in wrong way. They have also started attacking on Buddha and His Dhamma and misleading most of the people by false dhamma propaganda. This ideological fight has taken a new face now, everyone claims to be a true follower of buddha and babasaheb without questioning themselves...now the time has come to TEST OURSELVES. To understand the true and scientific teachings of buddha dr.babasaheb has given the reference for TEST OF DHAMMA. I assume that you all are aware of that test.( its mentioned in The Buddha And His Dhamma) NOW, we must test ourselves for being claimed to be a true ambedkarrite also.
The question is what could be the test...? i would like to refer Austin's theory of jurisprudence. In his theory Austin says that " Law should be analysed AS IS existed today." he further says that "... every positive law is set by a given sovereign to person or persons in a state of subjection to its author", . according to austin law should be accepted AS IT IS...there should not be any change or alteration in following the sovereign power. WE believe Thathagat Buddha and Dr.babasaheb ambedkar as the highest inspirational source for all those who fights against injustice. therefore Dr.babasaheb ambedakar's words MUST BE ACCEPTED AS IT IS...there shall not be any mis-interpratation for his words and philosophies. then only we could achieve the dream of babasaheb.
few political and social groups have started misleading the innocent people on the name of babasaheb, and trying to interprate their thoughts for their selfish means. they have also created stooges and a line of few people to degrade dr.babasaheb who do not have any historical background. i want to question everyone very straightfoward that WHETHER YOU WILL ACCEPT TATHAGAT BUDDHA, SAMRAT ASHOK, AND DR.BABASAHEB AMBEDKAR AS A SOLE INSPIRATIONS ?
Dear brothers...Ambedakri Movement need people who do not accept anyone else than babasaheb, Ambedkari Movement need those persons who never compramises on the name of buddha samrat ashok and babasaheb, ambedkari movement needs persons who r ready to fight against the anti-agenda which are trying to defame/degrade dhamma and ambedkari movement.
I request all of you to share your veiws on how we can unite true ambedkarrites and RECONSTRUCT AMBEDAKARI MOVEMENT...if you really think about the movement and feel the pain abt todays conditions then do share your views and suggestions to RECONSTRUCT AMBEDKARI INTELLECTUALS at one place...am sure those ambedkari intellectuals will not have different thinkings AS THEY FOLLOW ONLY ONE PERSON I.E. DR.BABASAHEB AMBEDKAR...
NOTE:- No political discussion will be entertained in this debate
No propaganda of any political party will be accepted,.
All the views and suggestion must be to strengthen the movement and
to spread buddhism in all parts.
Everyone has the right of expression but it should be utilised in positive
way with an intention of strenghting our movement.
WE ARE AWAITING YOUR VALUABLE INTELLECTUAL
SUGGESTIONS.......THANK YOU...!!!
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